प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj द्वारा #MP_में_हिंदी_में_MBBS की पढ़ाई कराने की निर्णय के बाद #सतना में एक चिकित्सक ने किया अमल। मरीजों को हिंदी में दवाई लिखना किया शुरू। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोटर में चिकित्सा अधिकारी हैं डॉ सर्वेश सिंह। pic.twitter.com/aX6Ddr1Vrx — Chetan Tiwari (@Chetantiwaribjp) October 16, 2022
सांप्रदायिक ताकतों को दें मुहतोड़ जवाब : प्रधानमंत्री
यहां राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना सम्मान समारोह वित्तीय साक्षरता में सबक में प्रधानमंत्री ने कहा, "एक इंसान के रूप में हमारी पहचान धर्मनिरपेक्ष की है। केवल मुट्ठीभर लोग ही अपने स्वार्थ के लिए हमारे बीच भेदभाव पैदा कर रहे हैं।"
समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मिजोरम की सामाजिक कार्यकर्ता खामलिना और ओडिशा के मोहम्मद अब्दुल बारी को वर्ष 2011-12 के लिए सांप्रदायिक सद्भावना सम्मान प्रदान किया।
संस्था वर्ग में यह सम्मान दिल्ली के फाउंडेशन फॉर एमिटी एंड नेशनल सोलिडरिटी को दिया गया। उन्होंने कहा, "मैं यह भी मानता हूं कि ऐसी ताकतों का विरोध करना हम में से हर एक का कर्तव्य है।"
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा का जिक्र किया। यहां हिंसा में 40 से ज्यादा लोगों की जान गई और हजारों लोगों को अपना घर-बार छोड़कर शिविरों में शरण लेना पड़ा है।
मनमोहन सिंह ने कहा, "हम आज देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव चरम पर पहुंचने के बीच यहां जुटे हैं। यह अत्यंत दुखद घटनाक्रम है।" उन्होंने कहा, "हाल वित्तीय साक्षरता में सबक की घटनाओं के मद्देनजर हम सब का दायित्व है कि समाज में सद्भाव और मैत्री की भावना को बढ़ावा देने की निजी और सामूहिक जिम्मेदारी का प्रदर्शन करें।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है और इस देश के पास 'सहिष्णुता की अत्यंत गौरवशाली' विरासत भी है। उन्होंने कहा, "भारत एक ऐसा देश है जहां सदियों तक विभिन्न धर्म विकसित हुए और उन्होंने एक दूसरे समृद्ध किया है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने का हर संभव प्रयत्न करने में जुटी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक 23 सितंबर को आयोजित की जाएगी जिसमें 'इस बुराई को खत्म करने के उपाय और मार्ग तलाशा जाएगा।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मानित किए गए दोनों व्यक्तियों ने दृष्टांत योग्य काम किए हैं जिस पर हर किसी को गर्व हो सकता है।
इस मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, "सांप्रदायिकता हमारे समाज से दूर हटती नहीं दिख रही है।" उन्होंने कहा, "ऐसा इसलिए है क्योंकि हम अपने ही इतिहास से सबक क्यों नहीं सीखते, बल्कि बार-बार वही गलती दोहरात रहते हैं।" उन्होंने जोर देकर कहा कि सौहार्द और सहिष्णुता भारतीय लोकाचार की बुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि शांति और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, "यद्यपि सामाजिक शांति और सौहार्द कायम रखना सरकार का काम है, फिर भी इसकी जिम्मेदारी को हर नागरिक के कर्तव्य से पृथक नहीं की जा सकती।"
राष्ट्रपति ने कहा कि सौहार्द और सहिष्णुता भारतीय लोकाचार, परंपरा और इतिहास की बुनियाद हैं। उन्होंने कहा, "इसी विरासत के दम पर भारत ने अपने अंक में विभिन्न धर्मो, सुधार आंदोलनों और सदी तक हमारी चेतना को प्रभावित करने वाले पुनर्जागरण को समेटा और अपनाया।"
मुखर्जी ने कहा, "हमारे संविधान ने सभी भारतीयों के बीच सौहार्द और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए धर्म, भाषा और क्षेत्र या सामुदायिक विविधता को परे रखते हुए हर नागरिक के बुनियादी कर्तव्य को रेखांकित किया है।"
चूंकि भारत भी आज दुनिया के तमाम देशों की तरह 51वां विश्व साक्षरता दिवस मना रहा है, तो इस मौके पर राष्ट्रों की तरक्की में साक्षरता की केंद्रीय भूमिका की तरफ मैं आप सबका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं। यह वह दिन है, जब हम अपने स्वतंत्रता संघर्ष और महात्मा गांधी के शब्दों को याद कर सकते हैं, जिन्होंने कहा था कि अशिक्षा एक अभिशाप और शर्म है, जिसे मुक्ति पाई जानी ही चाहिए। यह वह दिन है, जब हम अपनी स्वतंत्रता के 70 वर्षों की तरक्की पर निगाह डाल सकते हैं। पंडित नेहरू ने 15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि को बड़े ही सार्थक शब्दों में कहा था, ‘आम आदमी को आजादी व अवसर मुहैया कराने के लिए और सामाजिक-आर्थिक व राजनीतिक संगठनों के सृजन के लिए, जो देश के हरेक पुरुष व स्त्री को इंसाफ व आनंदपूर्ण जीवन की गारंटी दे’ हमें विकास के मार्ग पर कदम बढ़ाने की जरूरत है। हमने इन वर्षों में जो तरक्की की सीढ़ियां चढ़ी हैं, जो मील के पत्थर गाड़े हैं, उन्हें गर्व से देख सकते हैं। 1947 में वित्तीय साक्षरता में सबक देश जब आजाद हुआ था, तब महज 18 प्रतिशत भारतीय लिख-पढ़ सकते थे। आज करीब 74 फीसदी भारतीय साक्षर हैं। 95 प्रतिशत से भी अधिक बच्चे स्कूल जा रहे हैं और 86 फीसदी नौजवान कामकाज के लायक शिक्षित हैं। यह कोई कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। हालांकि, हमें अपनी पुरानी सफलताओं से प्रेरणा लेते हुए भविष्य की ओर अग्रसर होना है।
निस्संदेह, हमें अभी लंबी दूरी तय करनी है। हम इस तथ्य की भी अनदेखी नहीं कर सकते कि करीब 35 करोड़ युवा व प्रौढ़ शिक्षा की दुनिया से बाहर हैं, और इसके कारण भारत की तरक्की और विकास में वे कोई सार्थक भूमिका नहीं निभा पा रहे। इसके अलावा करीब 40 प्रतिशत स्कूली बच्चे प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद भी बुनियादी साक्षरता कौशल से वंचित रह जाते हैं। हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है, जिससे हमें व्यवस्थित रूप से निपटना है। आज के दिन ने हमें अपनी सामूहिक उपलब्धि का उत्सव मनाने का अवसर दिया है। यह हमारे अथक प्रयासों की प्रेरक कहानी है। अनेक व्यक्तियों और संस्थाओं ने इस राष्ट्रीय कोशिश में अपना योगदान दिया है। त्रावणकोर और बड़ौदा के बौद्धिक शासकों ने शिक्षा के अवसरों का विस्तार किया था। महात्मा गांधी से पे्ररणा लेते हुए वेल्दी फिशर और लौबाह ने 1953 में लखनऊ में लिटरेसी हाउस की स्थापना की थी। प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में 1959 में ही ग्राम शिक्षण मुहिम जैसे कार्यक्रम चलाए गए थे। लेकिन 1990 के दशक में सरकार के राष्ट्रीय साक्षरता मिशन ने इन प्रयासों को जबर्दस्त रफ्तार दी। और इन तमाम प्रयासों को ही इस बात का श्रेय जाता है कि आज हमारी तीन-चौथाई आबादी लिख-पढ़ सकती है। हालांकि, वैश्विक परिप्रेक्ष्य में चुनौतियां अब भी कम नहीं हैं और वे फौरन ध्यान दिए जाने की मांग भी करती हैं। सरकार मानती है और जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्यामन (चीन) के ब्रिक्स सम्मेलन में बीते 5 सितंबर को कहा भी है कि ‘‘हमारे विकास संबंधी एजेंडे का आधार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की धारणा है। यानी सामूहिक प्रयास और समावेशी विकास।’’ अगले पांच वर्षों में एक नए भारत को आकार देने में भी देश जुटा हुआ है। वैश्विक रूप से हम जनवरी 2016 के उस संयुक्त राष्ट्र के ‘2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ के प्रति प्रतिबद्ध हैं। इस वैश्विक एजेंडे में एक ‘सार्वभौमिक साक्षर वित्तीय साक्षरता में सबक दुनिया’ की परिकल्पना की गई है। और इस एजेंडे के एक लक्ष्य को, जो खास तौर से नौजवानों और प्रौढ़ों की साक्षरता पर केंद्रित है, साल 2030 तक हासिल करना है।
अगर हमें 2030 तक साक्षर दुनिया की लक्ष्य-प्राप्ति की ओर तेजी से बढ़ना है और भारत को यह सुनिश्चित करना है कि देश के सभी नौजवान और प्रौढ़ों की एक बड़ी संख्या इस कौशल को प्राप्त कर सके, तो हमें अपनी पुरानी रणनीति की समीक्षा करनी होगी और कौन सी नीति कारगर रही व कौन निरर्थक, यह जानने के बाद देश के भीतर व बाहर के सफल उदाहरणों से सबक सीखना होगा। निस्संदेह, इसे एक सामूहिक प्रयास बनाना पड़ेगा, जिसमें सरकार की भूमिका अग्रणी हो, लेकिन सिविल सोसायटी और निजी क्षेत्र भी सक्रिय भूमिका निभाएं। इस स्पष्ट सोच के साथ कि शिक्षा की उत्प्रेरक भूमिका नए भारत को आकार दे सकती है, इसे एक सामाजिक मिशन बनाना पड़ेगा।
मुझे प्रसिद्ध तेलुगु कवि गुरजाड अप्पाराव की पंक्तियां याद आ रही हैं, जिसका आशय यह है कि ‘हमारे कदमों के नीचे की धरती देश नहीं है, बल्कि जो इस भूमि पर बसे हैं, वे लोग देश होते हैं।’ लोगों के जीवन की गुणवत्ता ही किसी देश का चरित्र बताती है। यह समानता है, जो यह तय करती है कि विकास के सुुफल का किस तरह वितरण हुआ? हम समावेशी विकास के प्रति समर्पित देश हैं। हम अपने कार्यक्रम इस तरह गढ़ रहे हैं, जिसमें कोई पीछे न छूट पाए। ऐसे में, यह स्वाभाविक है कि एक सहभागी, जीवंत और अधिक समावेशी लोकतंत्र के निर्माण में साक्षरता पहला जरूरी कदम है।
साक्षरता एक नागरिक को अपने उन अधिकारों के इस्तेमाल में सक्षम बनाती है, जो उसे संविधान से मिले हुए हैं। यह देखा गया है कि गरीबी, शिशु मृत्यु-दर, जनसंख्या-वृद्धि , लैंगिक गैर-बराबरी जैसी समस्याओं से शिक्षित समाज बेहतर तरीके से निपटते हैं। भारतीय परिप्रेक्ष्य में साक्षरता हमारे देश व समाज के वंचित तबकों के सशक्तीकरण और उनके जीवन स्तर को सुधारने में अहम भूमिका निभा सकती है। सार्वभौमिक साक्षरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें अपनी द्वीपक्षीय रणनीति जारी रखनी पड़ेगी। एक, हमें प्री-प्राइमरी शिक्षा और स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारनी होगी, ताकि हमारे सभी स्नातकों के पास आवश्यक साक्षरता कौशल हो। दूसरी, उन तमाम लोगों को सीखने के अवसर दिए जाने चाहिए, जिन्होंने स्कूल का मुंह नहीं देखा या जिन्हें बीच में किन्हीं वजहों से स्कूल छोड़ना पड़ा। हमें उन नौजवानों व प्रौढ़ों को भी ये मौके देने होंगे, जिन्हें अपनी आजीविका के अवसरों के विस्तार के लिए बुनियादी कौशल हासिल करने की जरूरत है।
वित्तीय साक्षरता में सबक
बदरुद्दीन अजमल का बयान भारत की सनातन संस्कृति के साथ खिलवाड़ : तारकिशोर प्रसाद
कटिहार, 03 दिसंबर (हि.स.)। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं लोक लेखा समिति के सभापति तारकिशोर प्रसाद ने बदरुद्दीन अजमल के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने रविवार को यहां कहा कि बदरुद्दीन अजमल का बयान भारत की सनातन संस्कृति और हिंदुओं की भावनाओं के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत समेत दुनिया के कई देश जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रयास कर रहे हैं, वहीं, बदरुद्दीन अजमल ने वित्तीय साक्षरता में सबक जनसंख्या विस्फोट और लव जिहाद का समर्थन करते हुए मुस्लिम बच्चियों के साथ हिंदुओं के विवाह करने का समर्थन है। यह घोर निंदनीय है।
तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि भारत जैसे देश, जिसने मर्यादा और सामाजिक मर्म को सदियों से जीया है, वहां बदरुद्दीन अजमल जैसे लोग समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अजमल ने सामाजिक भावनाओं को उकसाने और भड़काने का काम किया है। कांग्रेस जैसी पार्टियों ने ऐसे राष्ट्रद्रोहियों का समर्थन करके भारत की सनातन संस्कृति का अपमान किया है। इसके लिए इन लोगों को माफी मांगनी चाहिए, अन्यथा भारत के 132 करोड़ से अधिक लोग सनातन संस्कृति पर कुठाराघात करने वाले ऐसे मनचले लोगों को अवश्य सबक सिखाएंगे।
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किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी अभियान की शुरुआत जल्द
किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ सभी किसानों को मिले
गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: जिला कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में बताया कि भारत सरकार व कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानो को केसीसी सहित केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए 24 अप्रैल 2022 से 01 मई 2022 की अवधि में विशेष अभियान “किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी” चलाने का निर्णय लिया है। ताकि भूमि व पशुपालन के लिए केसीसी जारी होने से वंचित हुये योग्य किसानो को किसान क्रेडिट कार्ड योजना से जोड़ा जा सके। जिला पदाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बताया की इस अभियान के दौरान बैंक बीसी व बैंक शाखाओं के माध्यम से किसानों को केसीसी प्रदान करने में सहयोग किया जाएगा। अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी बैंको व सहयोगी संस्थाओं को अग्रणी जिला प्रबन्धक कार्यालय के माध्यम से आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के लिए निर्देशित किया गया है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने समस्त प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने हेतु 24 अप्रैल 2022 से 01 मई 2022 तक मिशन मोड में केसीसी जारी करने हेतु बैंको तथा सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रयास किया है। इस अभियान के अंतर्गत देश भर में 07 दिनों में अधिक से अधिक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का कोई भी लाभार्थी केसीसी से वंचित रहता हैं तो वह 24 अप्रैल 2022 को विशेष ग्राम सभा या अपनी बैंक शाखा से 07 दिनों के अंदर संपर्क करके किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ उठा सकता है। जिन किसानों के पास पहले से किसान क्रेडिट कार्ड लिमिट नहीं हैं वे नई किसान क्रेडिट कार्ड लिमिट के लिए भी जमाबंदी रिपोर्ट व फसल ब्यौरे के साथ अपने क्षेत्र की बैंक शाखा से संपर्क करें। जिन किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड लिमिट है, वे पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए भी बैंक शाखा में संपर्क कर सकते हैं। उन्होने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को सस्ती दरों पर बैंकों द्वारा कृषि ऋण उपलब्ध कराया जाता है। जिले के समस्त बैंकों को भी निर्देश दिये कि वो इस अभियान के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति करें व समस्त प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड लेने के लिए प्रेरित करें। जिले में इस के लिए सभी बैंको के प्रतिनिधियों को बैठक के दौरान निर्देशित किया गया है कि केसीसी जारी करने में कोई देरी नहीं की जाए तथा ज्यादा से ज्यादा किसानों को केसीसी का लाभ पहुंचाने के प्रयास करने के लिए वित्तीय साक्षरता शिविर का आयोजन करने के साथ ही साथ एसएचजी की मासिक बैठक तथा किसान उत्पादक संगठन के पदाधिकारियों के माध्यम से जिले के सभी किसानों तक इस योजना की जानकारी पहॅुचाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। किसान क्रेडिट कार्ड योजना के लिए अभियान की शुरुआत 24 अप्रैल 2022 को गोपालगंज जिले में विशेष ग्राम सभा आयोजित कर की जाएगी, इस ग्राम सभा में जिन किसानों के पास अभी तक केसीसी नहीं है उन्हें केसीसी कार्ड बैंकों द्वारा प्रदान करने के लिए सहयोग किया जाएगा। इसके अतिरिक्त जिन किसानों के पास कृषि भूमि पर सामान्य केसीसी है और उनकी लिमिट रु.3.00 लाख से कम है तो उनको उनके पास रखे गये पशुओं के आधार पर पशुपालन एवं मत्स्य पालन-केसीसी भी प्रदान करने हेतु सहयोग प्रदान किया जाएगा। साथ ही उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजना जैसे पीएमएसबीवाई, पीएमजेजेवाई, अटल वित्तीय साक्षरता में सबक पेंशन योजना आदि से भी जोड़ा जाएगा। इस अभियान में सभी प्रकार के केसीसी प्रदान किए जाएंगे जैसे – कृषि, डेयरी-पशुपालन एवं मत्स्य पालन केसीसी। डी.डी.सी. अभिषेक रंजन ने सभी किसानों से आह्वान किया है कि जो भी किसान अभी तक केसीसी की सुविधा से वंचित रह गए हैं, वे इस अभियान के तहत अपने ग्राम सचिव, सरपंच, नजदीकी बैंक शाखा से संपर्क कर केसीसी कार्ड बनवाएं एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में भी पंजीकरण करवाए।
इस अवसर पर जिला कलेक्ट्रेट द्वारा बताया कि इस अभियान के अंतर्गत किसान क्रेडिट कार्ड के आवेदन के लिए एक सरल फॉर्म भी जारी किया गया है जोकि सभी बैंको की वैबसाइट, www.agricoop.gov.in और www.pmkisan.gov.in पर उपलब्ध हैं। जिले के संबंधित विभागों को भी इस योजना की जानकारी किसानों तक स्वयं सहायता समूह व ग्राम पंचायत के माध्यम से पहुचाने के लिए निर्देश दिये। इस प्रयास को सफल बनाने के लिए भारत सरकार, राज्य सरकार, नाबार्ड तथा अग्रणी जिला प्रबंधक को किसानों तथा बैंकों के मध्य सहयोग के लिए निर्देशित किया गया है इसी क्रम में जिला प्रशासन द्वारा राजस्व विभाग को भी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के आवेदन हेतु उनकी भूमि के रिकॉर्ड सुगमता से उपलब्ध कराने का निर्देश दिये गये है।
इस योजना के विषय में डी.डी.एम. नाबार्ड, डॉ. अनुपम लाल कुसुमाकर द्वारा बताया गया कि किसानों को अब केसीसी के तहत एक लाख साठ हजार रुपये तक का ऋण प्राप्त करने के लिए लोन की प्रक्रिया को सरल बना दिया गया है। खास बात यह है कि किसान यदि समय से ऋण चुकता कर देते हैं तो उन्हें तीन लाख रुपये तक का ऋण सिर्फ चार फीसद ब्याज (ब्याज अनुदान सहित) पर मिल सकेगा। उन्होने यह भी बताया की बैंको तथा जिला प्रशासन के सहयोग से 24 अप्रैल 2022 को देशभर में विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया जाएगा ग्राम सभा में उपस्थित किसानों वित्तीय साक्षरता में सबक तथा जनप्रतिनिधयों को प्रधानमंत्री महोदय द्वारा संबोधित कर “किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी” अभियान को लॉंच किया प्रारंभ किया जाएगा। एल.डी.एम. विकास कुमार ने सभी किसानों अपील करते हुए कहा कि इस पहल से जिले में ऋण प्रवाह तेजी से बढ़ेगा।
RX की जगह 'श्री हरि': सतना में पहली बार लिखा गया हिंदी में प्रिस्क्रिप्शन, पर्चा हो रहा वायरल
Medical Prescription in Hindi: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने शिवराज सिंह ने बीते रविवार से MBBS की पढ़ाई का श्री गणेश हिंदी में कर दिया है. इसके साथ उन्होंने डॉक्टरों से RX की जगह श्री हरि और दवाइयां हिन्दी में ही लिखी जाने की अपील की थी, जिसके बाद सतना जिले के कोटर पीएचसी में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर ने इसे अमलीजामा पहना दिया है.
RX की जगह 'श्री हरि': MP सीएम शिवराज की अपील का दिखा असर, डॉक्टर ने हिंदी में लिखा प्रिस्क्रिप्शन
Mp Doctor Wrote Medicines Name In Hindi: हाल ही में मध्य प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो गई है. हिंदी भाषा में एमबीबीएस की किताबों का विमोचन हो भी गया है. इस बीच मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने डॉक्टरों से हिंदी में प्रिस्क्रिप्शन लिखने की अपील की थी. साथ ही उन्होंने कहा था कि, आप Rx की जगह पर श्री हरि लिखो और Crocin की जगह क्रोसिन लिखो. सीएम शिवराज सिंह की अपील के बाद, अब सतना जिले के कोटर पीएसची में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर द्वारा लिखा गया एक पर्चा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
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प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj द्वारा #MP_में_हिंदी_में_MBBS की पढ़ाई कराने की निर्णय के बाद #सतना में एक चिकित्सक ने किया अमल। मरीजों को हिंदी में दवाई लिखना किया शुरू। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोटर में चिकित्सा अधिकारी हैं डॉ सर्वेश सिंह। pic.twitter.com/aX6Ddr1Vrx
— Chetan Tiwari (@Chetantiwaribjp) October 16, 2022
सीएम शिवराज सिंह चौहान की अपील के बाद सतना जिले में हिंदी में प्रिस्क्रिप्शन लिखने की शुरुआत हो गई है, जिसका अंदाजा हाल ही में वायरल इस पर्चे को देखकर लगाया जा सकता है. दरअसल, यह पर्चा सतना जिले के कोटर पीएसची में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर डॉ. सर्वेश सिंह ने लिखा है. डॉ. सर्वेश के मुताबिक, पेट दर्द से पीड़ित यह पहली पेशेंट थीं, जो सोमवार को पीएचसी उपचार के लिए आई थीं. उन्हीं की ओपीडी पर्ची पर हिन्दी में दवाइयां लिखी गईं. वायरल हो रहे इस पर्चे में देखा जा सकता है कि, मेडिकल ऑफिसर ने पूरी केस हिस्ट्री भी हिन्दी में लिखी.
सोशल मीडिया पर डॉ. सर्वेश का यह पर्चा हवा की तरह वायरल हो रहा है, जिसमें मरीज के लिए दवाइयों को लिखने से पहले आरएक्स की जगह श्री हरि का लिखा गया है. इसके बाद डॉक्टर ने प्रिस्क्रिप्शन पर पांच किस्म की दवाइयां लिखीं हैं, वो भी सभी हिन्दी में. बताया जा रहा है कि, डॉ. सर्वेश ने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से वर्ष 2017 में एमबीबीएस की पढ़ाई की. इसके बाद नवम्बर 2019 में डॉ. सर्वेश की पदस्थापना कोटर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में की गई. तब से वे कोटर में ही सेवाएं दे रहे हैं.
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