मार्जिन के नए नियम से घटेगा कारोबार
नया उच्चतम मार्जिन के प्रभावी होने से आने वाले महीनों में वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) के वॉल्यूम में करीब एक-तिहाई तक की कमी आ सकती है। बाजार के कुल कारोबार में एफऐंडओ खंड की हिस्सेदारी करीब 90 फीसदी और दिन के कारोबार में करीब आधी हिस्सेदारी है।
मंगलवार से ब्रोकरों द्वारा इंट्राडे में दिए जाने वाले अधिकतम लीवरेज को सीमित कर दिया जाएगा और इसे 1 सितंबर, 2021 तक कम रखा जाएगा। इसके बाद ब्रोकर वायदा एवं विकल्प खंड में एसपीएएन और एक्सपोजर के बराबर और नकद खंड में वीएआर और ईएलएम (न्यूनतम 20 फीसदी) के बराबर लीवरेज दे सकेंगे। एसपीएएन जोखिम का मानक पोर्टफोलियो विश्लेषण है, वहीं वीएआर जोखिम का मूल्य और ईएलएम अत्यधिक जोखिम मार्जिन है, जिसके आधार पर किसी प्रतिभूति में निवेश के जोखिम का आकलन किया जाता है। देश की सबसे बड़ी ब्रोकिंग कंपनी जीरोधा के मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत ने कहा, 'लीवरेज कम होने से एफऐंडओ के वॉल्यूम में कमी आ सकती है। जीरोधा में आने वाले महीनों में 20 से 30 फीसदी वॉल्यूम कम हो सकता है। ऐसे ब्रोकर जो इंट्राडे लीवरेज का आक्रामक तरीके से उपयोग करते हैं, उनके कारोबार पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।'
वर्तमान में ब्रोकर मार्जिन की रिपोर्ट दिन के अंत में करते हैं, जिसकी वजह से वे उन ग्राहकों को भी अतिरिक्त लीवरेज देने में सक्षम होते हैं, जिनके पास न्यूनतम मार्जिन भी नहीं होता है। हालांकि इसमें शर्त होती है कि दिन के कारोबार खत्म होने से पहले वे पोजिशन का निपटान करेंगे। इसके साथ ही अगर ब्रोकर इंट्राडे पोजिशन में न्यूनतम मार्जिन सुरक्षित करने में विफल रहता है तो शॉर्ट मार्जिन का जुर्माना लगेगा।
प्रभुदास लीलाधर में मुख्य कार्याधिकारी, रिटेल संदीप रायचूड़ा ने कहा, 'सेबी ने डेरिवेटिव में पहले चरण में एक्सपोजर को चार गुना तक सीमित कर दिया है और इससे रिटेल वायदा वॉल्यूम पर असर पड़ेगा, खास तौर पर निपटान के दिन।'
ब्रोकर आम तौर पर एफऐंडओ खंड में इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए 4 से 8 गुना तक लीवरेज की पेशकश करते हैं, जो कई बार 30 से 40 गुना तक पहुंच सकता है। उद्योग के भागीदारों का कहना है कि निफ्टी और निफ्टी बैंक सूचकांकों पर साप्ताहिक और मासिक निपटान के दिन लगाए गए दांव में इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम काफी कमी आ सकती है। ब्रोकरों की रिटेल आय में एफऐंडओ खंड की हिस्सेदारी करीब 40 से 60 फीसदी होती है। ऐसे में नए नियम से दिसंबर तिमाही में ब्रोकरों की आय में 10 से 15 फीसदी की कमी आ सकती है।
उद्योग के भागीदारों को उम्मीद है कि नए नियम से जोखिम कम करने और दीर्घावधि में ज्यादा ट्रेडर्स को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
जिरोधा के मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत ने कहा, 'ज्यादा लीवरेज होने से ट्रेडरों को पैसे गंवाने का भी जोखिम रहता है। कम लीवरेज से उनका जोखिम कम होगा और वे लंबे समय तक कारोबार में बने रह सकते हैं।'
रायचूड़ा के अनुसार शेयर के डेरिवेटिव से नकद खंड में कारोबार जा सकता है क्योंकि नकद में मार्जिन डेरिवेटिव की तुलना में कम होता है।
मंगलवार से कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भी स्थिति स्पष्ट होने तक ट्रेडिंग से दूर रह सकते हैं। डेरिवेटिव वॉल्यूम में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है, जो दैनिक औसत वॉल्यूम 2 से 3 लाख करोड़ रुपये के बराबर है।
विदेशी निवेशकों का प्रतिनिधित्व करने वाला एशिया सिक्योरिटीज इंडस्ट्री ऐंड फाइनैंशियल मार्केट्स एसोसिएशन पिछले हफ्ते भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से मिलकर पीक मार्जिन के नियम को कम से कम तीन महीने के लिए टालने और समुचित मार्जिन नहीं होने पर जुर्माना घटाने का आग्रह किया था।
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है ?
सुबह 9:15 बजे से लेकर शाम को 3:30 बजे तक जो शेयर आपने इंट्राडे कहकर लिया है उसे 3:10 तक बेचना ही पड़ता है उस ट्रेड में आपको चाहे नुकसान हो, चाहे फायदा दोनों में से एक चीज ” बुक ” करनी ही पड़ेगी फायदा होता है तो आपकी पूंजी बढ़ जाएगी
और शेयर का रेट घट गया और आपको घटे रेट पर शेयर को बेचना ही पड़ेगा तो आपकी पूंजी घट जाएगी इसको (इंट्रा डे) बाजार कहते है इस बाजार में
इंट्राडे का व्यापार करने के लिए आपके पास कम से कम
₹50,000,00/= (पचास लाख) तो होना ही चाहिए
नहीं तो शॉर्ट टर्म या long टर्म निवेश कर
शेयर की डिलीवरी लेकर व्यपार करे!
अगर आप एक या ₹2,000,00/=लाख से इंट्राडे का व्यापार करेंगे तो आपकी पूंजी आहिस्ता आहिस्ता घटती जाएगी और एक दिन आप शेयर बाजार से बिल्कुल कंगाल हो जाएंगे।
इक्विटी बाजार में ट्रेडिंग 2 सेगमेंट होते है
1) कैश ट्रेडिंग
इस प्रकार के ट्रेडिंग में आप मॉर्निज के बिना आपके खुदके पैसों ट्रेडिंग कर सकते है। इसमें आप शेयर की दिलीविरी लेकर खरीद और बिक्री कर ट्रेडिंग करते है। इसमें आपको बहोत कम रिटर्न्स मिलता है। मगर इसमें आर्थिक जोखिम भी बहोत कम होता है। शेयर बाजार में पेशे आदर ट्रेडर इस तरह के ट्रेडिंग नहीं करते है । इसमें लेवल लघु समय ( < 1 वर्ष ) के निवेशक ट्रेडिंग करते है।
2) डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग
इस प्रकार के ट्रेडिंग में आप ब्रोकर मॉर्निज पैसों के साथ आपके ट्रेडिंग कर सकते है। इसमें आप स्टॉक ( ITC , HDFC , Reliance ) , करेंसी ( USD/INR ) , इंडेक्स ( NIFTY 50 / SENSEX ) और कमोडिटी ( Cruid Oil , Gold , Silver ) की दिलीविरी लिए बिना खरीद और बिक्री कर ट्रेडिंग करते है। इसमें आपको बहोत ज्यादा रिटर्न्स मिलता है। मगर इसमें आर्थिक जोखिम बहोत ज्यादा होता है। शेयर बाजार में पेशेदार ट्रेडर इस तरह के ट्रेडिंग करते है ।
डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग 2 तरह के होते है
a) फ्यूचर ट्रेडिंग
शेयर मार्किट में फ्यूचर ट्रेडिंग या फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट ट्रेडिंग का मतलब होता हे की आप किसी भी स्टॉक / इंडेक्स को उसकी एक्सपाइरी डेट से पहले खरीद या बेच सकते हे, कोई भी फिक्स प्राइस पर।
b) ऑप्शन ट्रेडिंग
शेयर बाजार मेंहर दिन शेयर और इंडेक्स की मूल्य ऊपर नीचे होते रहता है । इस में अगर आप किसी शेयर को भबिष्य के किसी निधारित मूल्य (strick price) में बेचना और ख़रीदना हो तो आपको किसी के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट करना होता है । इस को आसान भासा में स्टॉक हेजिंग कहे ते है इस के निबेश की रिस्क कम होजा ता है । सभी कॉन्ट्रैक्ट का एक निधारित समय सीमा होता है । इसी कॉन्ट्रैक्ट (Option) को बेचना और खरीदना को option trading कहते है ।
इंट्राडे और डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
शेयर बाजार में 1 दिन केलिए ट्रेडिंग करते है तो उसको इंट्राडे ट्रेडिंग कहते है। इसमें आपको शेयर को एक ही दिन में 9:15 AM से 3:30 PM तक खरीद बिक्री करना होता है। इसमें केबल ट्रेडिंग कर सकते है । मगर आपको लंबी अबधि केलिए निवेश केलिए शेयर की डिजिटल फॉरमेट के जरिए डिलीवरी लेनी होती है। इसमें आपको शेयर को डिजिटल फॉरमेट में खरीद के T +2 दिनों में आपके CDSL / NSDL एकाउंट में शेयर जमा होता है । इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको बहोत ज्यादा ब्रोकेज़ ( प्रति आर्डर ₹20/- ) का शुल्क देना होता है। मगर शेयर की डिलीवरी में ब्रोकेज़ बहोत कम लगता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको > 30% ज्यादा इनकम टैक्स भरना होता है। मगर डिलीवरी ट्रेडिंग / निवेश में आपको ( 10 % से 15 % ) तक की इनकम टैक्स लगता है। इंट्राडे ट्रेडिंग शेयर बाजार के अनुभवी लोगों करना चाहिए । अगर आप शेयर में नए हो इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम तो आपको डिलीवरी ट्रेडिंग / निवेश करना चाहिए।
ट्रेडिंग करने केलिए सबसे अच्छी ट्रेडिंग कंपनी कौन सी है?
बाजार में बहोत सारे ऐप है जो कि ऑप्शन ट्रेडिंग देते है मगर सबमें अलग ब्रोकेज चार्ज और मार्जिन के नियम अलग अलग है । इस लिए आपको बहोत सावधानी से अपना ब्रोकर चुने । में आपको कुछ ब्रोकर की सलाह देसकता है ।
1. जेरोधा सेकुरिट्स
2. ऐंजल ब्रोकिंग
3. मोतीलाल ओसबल सेकुरिट्स
4. IIFL सेकुरिट्स
5. उप स्टॉक
इंट्राडे ट्रेडिंग से पैसे कैसे कमाए?
दोस्तों Intraday trading में पैसे लगाने से पहले आपको मार्केट में चल रहे ट्रेंडस और खबरों के बारे में जानकारी होनी चाहिए क्योंकि एक गलत खबर आपका पूरे पैसौ का नुकसान करवा सकती हैइसके लिए आपको मार्केट में चल रहे ट्रेंड्स का एनालिसिस और अच्छी स्टडी करनी जिसके लिए आप किसी टूल्स का भी उपयोग कर सकते हैं। मार्केट ट्रेंड का एनालिसिस करने के लिए कई सारे टूल्स मार्केट में उपलब्ध है। ट्रेंड्स का एनालिसिस करने के बाद आप सही समय पर सही स्टॉक में अपना पैसा इंट्राडे ट्रेडिंग में लगा सकते हैं।
2.अपने लक्ष्य को निर्धारित करें
कई बार आपने देखा होगा की कई लोग अपनी दिनचर्या को सरल बनाने के लिए एक सूची तैयार करते है। उस सूची की मदद से वह दिन के ख़त्म होने तक अपने सारे काम आसानी से पूरा कर लेते है और कही न कही अपने जीवन के लक्ष्य को भी पूरा करने में सक्षम होते है।इसी तरह से एक ट्रेडर के लिए भी काफी ज़रूरी है कि वह एक लक्ष्य के साथ इंट्राडे ट्रेड में आए इस तरह से वह कई चीज़े जैसे किस तरह के स्टॉक्स का चयन करना है, कितने पैसो से ट्रेड करना है जैसे पेहलूओं की समझ के साथ ट्रेड करने से आप ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त कर सकते है
3. 2 मिनट में आप राजा और रंक हो सकते हैं
Intraday trading से कभी-कभी तो मिनटों में भी शेयर ट्रेडिंग करके पैसे कमा लेते हैं। जैसे कि आपने अभी किसी शेयर में पोजीशन ली और पांच-दस मिनट में उसका प्राइस बढ़ गया और आपने प्रॉफिट बुक कर लिया। इस तरह आप शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग करके मिनटों में प्रॉफिट कमा सकते हैं।
4. नियम
कभी-कभी अकेले भटकने से बेहतर झुंड के साथ चलना बेहतर होता है. हमें सामान्य मार्किट में या फिर उस shares को सर्च करे, जिन्होंने ट्रेडर्स को अच्छा मुनाफा दिया है. जब भी शेयर बाजार में तेज से गिराबट आती है तब ट्रेडर्स को उन शेयर को तलाश करनी चाहिए जिनकी कीमत गिरती है, जब वह गिरते है तो आपके विश्लेषण के मुताबिक उनकी कीमत बढेगी
5.इंट्राडे स्टॉक चुने
इंट्राडे स्टॉक चुनने का विकल्प इंट्राडे के अनुभव के स्तर, ट्रेडिंग की शैली, उपलब्ध पूंजी की मात्रा, ट्रेडर की जोखिम लेने की शक्ति , बाजार की स्थिति आदि सहित कई कारकों पर निर्भर करता है। यह ट्रेडर की ट्रेडिंग योजना का एक हिस्सा है, हालांकि, प्रक्रिया गतिशील है और समय-समय पर विकसित होती रहती है क्योंकि ट्रेडर अपने अनुभवों से सीखता रहता हैं और अपनी ताकत और कमजोरियों को समझता हैं
क्योकि शेयर मार्केट इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम जोखिमों के अधीन है
naidisha.tech यहाँ दी गई किसी भी जानकारी की वजह से हुऐ किसी भी नुकसान के लिए इस ब्लॉग के लेखक व ब्लॉग जिम्मेदार नही होंगे। Nai Disha लेखक इस ब्लॉग में किसी भी पूर्व सुचना के कोई भी बदलाव करने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र है
New Margin क्या है ? जानिए सेबी के नए नियम – पूरी जानकारी
New Margin क्या है ? यदि आप भी शेयर मार्केट में invest और trade करते हैं तो ऐसे में आपको SEBI के नए नियमों के बारे में जानना बहुत जरुरी है। ताकि आप अपने द्वारा किये हुए invest के risk को कम कर सके। तो आज हम आपको new margin के update के बारे में बताएँगे।
जिससे आपको किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम आज आप इस article में delivery, Intra-day,option & future ट्रेडिंग के साथ-साथ commodity, cash market के लिए new margin rule के बारे में जानेंगे जो एक traders के लिए बहुत ज़रूरी है। तो आईये चलिए जानते है कि – New Margin Rule क्या है ?
New Margin Rule क्या है ?
New Margin Rule, जो stock broker द्वारा अपने clients को trading कराने के लिए provide कराया जाता था, उसे क्रमसः 25%, 50%, 75%, 100% चार चरणों में ख़त्म कर दिया जायेगा। यानी अब client को trade करने के लिए उसे खुद का पैसा अपने demat account में रखना अनिवार्य होगा। अन्यथा वह stock market में trade नहीं कर पायेगा।
अब client को ट्रेड करने के लिए उसे खुद का margin अपने Demat account में रखना पड़ेगा तभी वह trade कर पायेगा। ऐसा कर पाना एक retail trader के लिए भारी चुनौती भरा काम हो सकता है। क्योंकि रिटेल ट्रेडर के लिए पर्याप्त मात्रा में fund जुटाना आसान नहीं होता।
इसे यदि हम आसान भाषा में समझे तो पहले यदि आपके पास 1000 रुपये होते थे तो आपका stock broker आपको trade कराने के लिए 20 गुना margin provide करा देते थे और आप एक 1000 रुपये होते हुए भी 20,000 हजार रुपये तक की trading कर सकते थे।
लेकिन सेबी के New Rule Margin आ जाने से अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि यदि आप trade करना चाहते हैं तो आप जितने शेयर्स में ट्रेड करेंगे तो आपके demat account में उतना fund का होना अनिवार्य है।
Margin क्या है ?
शेयर मार्केट में margin का मतलब उधार होता है। यह margin स्टॉक ब्रोकर द्वारा अपने clients को trading कराने के लिए provide कराया जाता है। ताकि traders ज्यादा संख्या में trade कर पाएं और वह brokers clients से ज्यादा revenue generate कर पाएं।
यह market से 5 गुना, 10 गुना, 20 गुना तक हो सकता है। यह broker पर निर्भर करता है कि – वह कितने गुना तक margin अपने clients को provide करा सकता है।
New Peak Margin Rule For Delivery & Intraday In Hindi
पहले जब सेबी का new peak margin rule नहीं आया था; तब आप पूर्व में ख़रीदे गए किसी भी stock holding को sell करते थे। तो sell किये हुए stocks की जितनी कीमत होती थी वह पूरा amount आपके Demat Account में show हो जाता था।
लेकिन new peak margin rule आ जाने से अब ऐसा नहीं है अब आप अपनी जो भी holding sell करेंगे उसका 80% आपके Demat account में दिखाई देगा। आप उस 80% amount को ही उसी दिन (sameday) इंट्राडे में उपयोग कर पाएंगे इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम बाकी का 20% amount अगले दिन आपके demat accont में show होगा।
लेकिन अब Intra-day trading के लिए stock Broker द्वारा आपको 1 सितंबर से किसी भी प्रकार से मार्जिन provide (उपलब्ध) नहीं करायी जाएगी। अब आपको Intra-Day में ट्रेडिंग करने के लिए अपने Demat account में पूरा Fund रखना होगा। तभी आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर पाएंगे।
लेकिन यदि आप उसी दिन Option और Future में ट्रेड करते हैं तो आप उसी दिन sell holding का मात्र केवल 60% मार्जिन का ही use कर पायेंगे। लेकिन जो इंट्राडे में मार्जिन चार्ज लिया जाता था, वह अब applicable नहीं होंगे और Brokerage charges same रहेंगे।
derivative segment में buy करना पहले जैसा ही रहेगा लेकिन आपको short selling के लिए ज्यादा amount अपने Demat account में रखना होगा। तभी आप short selling कर पाएंगे।
अंतिम राय –
सेबी का यह New margin rule आम तौर पर बड़े ट्रेडर के लिए ठीक है किन्तु यह retail traders के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकता है। क्योंकि एक retail trader के लिए इतना ज्यादा fund जुटा पाना संभव नहीं होता। ऐसे में मार्केट से ज्यादातर Retail ट्रेडर्स गायब हो जायेंगे।
अतः सेबी को 100% margin rule को 33%-50% तक कर देना चाहिए ताकि एक retail trader को भी ट्रेड करने में आसानी हो।
उम्मीद है कि आप New Margin क्या है ? जान गए होंगे लेकिन फिर भी यदि आपको कोई doubts हो तो आप comment कर पूछ सकते सकते है। यदि आप भी हिंदी से प्यार करते है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।
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