Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: August 13, 2022 15:48 IST
एकल प्राथमिक डीलरों को विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार की सभी सुविधाओं की पेशकश की अनुमति पर विचार
नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) एकल प्राथमिक डीलर (एसपीडी) विदेशी मुद्रा बाजार में खरीद-बिक्री से संबंधित सभी सुविधाओं की पेशकश कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ने) देश में वित्तीय बाजार के विकास को सुगम बनाने के लिये शुक्रवार को यह प्रस्ताव किया।
फिलहाल श्रेणी-1 के अंतर्गत आने वाले अधिकृत डीलरों को इसकी पेशकश की अनुमति है।
इस कदम से ग्राहकों को अपने विदेशी मुद्रा जोखिम का प्रबंधन करने के लिये विभिन्न इकाइयों (मार्केट मेकर्स) का विकल्प मिलेगा। साथ ही इससे भारत में विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार भी मजबूत होगा।
एसपीडी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान होते हैं, जिन्हें सरकारी प्रतिभूतियों में लेन-देन की अनुमति होती है।
मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद रिजर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘एकल प्राथमिक डीलरों ने देश के वित्तीय बाजारों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसको देखते हुए उन्हें विदेशी मुद्रा बाजार में खरीद-बिक्री से संबंधित सभी सुविधाओं की पेशकश करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है…।’’
डॉलर, पाउंड या रूबल में नहीं बल्कि रुपये में खरीदा जाएगा रूसी सामान, ये है मामला
Russian Goods will bought in Indian Rupees : भारत में रूस से आने वाले सामान को अगले सप्ताह से रुपए में खरीदना तय हो जाएगा. भारतीय रिजर्व बैंक (Indian Reserve Bank) द्वारा महीनों पहले लॉन्च की गई नई प्रणाली का परीक्षण पहली बार किया जाएगा. यानि अगले हफ्ते से रूसी सामान को अब डॉलर, पाउंड या रूबल में नहीं बल्कि रुपए में खरीदा जाएगा. इस मामले में फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (Federation of Indian Export Organization) के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि निर्यातकों और आयातकों ने खाते खोलने के लिए बैंकों से संपर्क करना शुरू कर दिया है. ईरान के साथ अंतर यह है कि भारत तेल और उर्वरक (ईरान से) आयात नहीं कर रहा है, जैसा कि हम रूस के साथ कर रहे हैं, इसलिए, वोस्ट्रो खाता सूखा है. इसी तरह के प्रतिबंध ईरान पर भी हैं.
भारत का व्यापार घाटा बढ़ा
भारतीय निर्यातकों को रूस के लिए शिपिंग माल की लागत में वृद्धि के आधार पर खर्च करना पड़ रहा है, क्योंकि राज्य द्वारा संचालित सर्बैंक इन ट्रेडों को निपटाने पर 4% प्रीमियम चार्ज कर रहा है, ऐसे समय में रूस के विदेशी मुद्रा व्यापार बनाम स्टॉक व्यापार साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ गया है. जब रुपए बैंक में जमा होते हैं, तो इसे एक वांछनीय विदेशी मुद्रा में परिवर्तित करना और इसे मेजबान देश – रूस – वापस ले जाना उनकी जिम्मेदारी है. कभी-कभी, यह बदलाव रुपये से डॉलर या डॉलर से रूबल-मुद्रा में उतार-चढ़ाव के विदेशी मुद्रा व्यापार बनाम स्टॉक व्यापार कारण महंगा साबित हो सकता है. लेकिन जैसे-जैसे निर्यात बढ़ेगा, उन्हें रूपांतरण जोखिम का सामना नहीं करना पड़ेगा.
फीफो के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि रूस के साथ हमारा आयात निर्यात से 10 गुना अधिक है, लेकिन रूस को अपना निर्यात बढ़ाने की बहुत अच्छी संभावना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जब उनके पास बहुत अधिक भारतीय रुपए हैं, तो या तो वे भारत में पूंजी निवेश करना चाहेंगे या वे हमारे निर्यात को बढ़ाएंगे.
रूस को भारत का निर्यात
बता दें कि अप्रैल से सितंबर के बीच, रूस को भारत का निर्यात 1.29 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 3.25 अरब डॉलर था. हालांकि, वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में रूस से आयात पांच गुना बढ़कर 17.23 अरब डॉलर हो गया है. निर्यातकों ने एक भारतीय शिपिंग लाइन के विकास की भी मांग की है, क्योंकि भारतीय निर्यातक परिवहन सेवाओं के रूप में 80 अरब डॉलर से अधिक की विदेशी शिपिंग लाइनों पर निर्भर हैं.
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घट गया है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए पिछले हफ्ते में कितनी थी भारत की ये संपत्ति
Published: August 13, 2022 4:25 PM IST
भारत के विदेश मु्द्रा भंडार में कमी आई है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर जारी आंकड़ों के अनुसार, 5 अगस्त को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 89.विदेशी मुद्रा व्यापार बनाम स्टॉक व्यापार 7 करोड़ डॉलर गिरकर 572.978 अरब डॉलर हो गया. 29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा व्यापार बनाम स्टॉक व्यापार लगातार चार सप्ताह पहले गिरने के बाद यह गिरावट देखी गई है. इस सप्ताह विदेशी मुद्रा संपत्ति में 1.611 अरब डॉलर की गिरावट के कारण 509.646 अरब डॉलर की गिरावट देखी गई है.
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विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (एफसीए) जो कि आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे महत्वपूर्ण पूंजी है. वह अमेरिकी ट्रेजरी बिल जैसी संपत्तियां हैं, जिन्हें आरबीआई ने विदेशी मुद्राओं का उपयोग करके खरीदा है. एफसीए विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा पुर्जा है. इस बीच, हालांकि, 5 अगस्त को समाप्त सप्ताह में सोने का भंडार 67.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.313 अरब डॉलर हो गया.
स्पेशल ड्रॉविंग राइट्स (एसडीआर) 4.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.031 अरब डॉलर हो गया. जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है कि आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति समीक्षाधीन सप्ताह में 30 लाख डॉलर घटकर 4.987 बिलियन डॉलर हो गई.
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Dollar vs Currency: गिरता रुपया सिक्के के दो पहलू जैसा, 6 नुकसान तो ये 4 फायदे भी
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 25 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 25 जुलाई 2022, 5:39 PM IST)
- दवाई उद्योग के सेक्टर को होगा फायदा
- तेल और गैस की कीमतों पर पड़ेगा असर
डॉलर (Dollar) के मुकाबले लगातार गिरते रुपये (Rupee) को बचाने के लिए भारत (India) अपने विदेशी मुद्रा भंडार (India Forex Reserves) से खर्च कर रहा है. विदेशी निवेशक भारत से अमेरिका भाग रहे हैं. जहां के केंद्रीय बैंक ने दरें बढ़ा दी हैं. व्यापार संतुलन के पलड़े पर भी भारत को नुकसान उठाना पड़ रहा है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 80 वह कगार है, जहां से रुपये का लुढ़कना बेकाबू हो सकता है. इससे सरकारी वित्त और कारोबारी योजनाओं में भारी रुकावटें पैदा हो जाएंगी.
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1. ऑटोः करीब 10-20 फीसदी कल-पुर्जों और दूसरे पार्ट्स का आयात होने विदेशी मुद्रा व्यापार बनाम स्टॉक व्यापार के कारण कारें महंगी हो सकती हैं. यह असर कंपनी के निर्यात और आयात वाले मार्केट पर निर्भर करेगा.
2. टेलीकॉम: इस उद्योग के विभिन्न पुर्जों का बड़ा आयातक होने के नाते अनुमान है कि भारत में कमजोर रुपया कंपनियों की लागत पूंजी को 5 फीसदी तक बढ़ सकता है. इस वजह वो टैरिफ बढ़ाने को मजबूर हो जाएंगी.
3. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स: इस कारोबार में आयातित वस्तुएं कुल लागत का 40-60 फीसदी के करीब बैठती हैं. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लाएंसेज निर्माताओं के मुताबिक, इस उद्योग की वस्तुओं की कीमतों में 4-5 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है.
4. सौर ऊर्जा: भारत के सौर ऊर्जा संयंत्र सोलर सेल और मॉड्यूल्स का आयात करते हैं. डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में प्रति एक रुपये की गिरावट पर सौर ऊर्जा की लागत का खर्च 2 पैसे प्रति यूनिट बढ़ जाएगा.
भारतीय कंपनियों के आगे पाकिस्तान कहीं नहीं टिकता, Pak के विदेशी मुद्रा भंडार से ज्यादा है हमारे स्टार्टअप की फंडिंग
Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: August 13, 2022 15:48 IST
Photo:FILE Indian Comapnies vs Pakistan
पाकिस्तान भले ही अपनी आजादी के 75वें साल के जश्न में मशगूल हो, लेकिन वहां की आवाम के लिए ऐसा कोई भी कारण नहीं है कि वह इस जश्न की खुशी बना सके। दिनों दिन बदतर होते हालात ने वहां की बदहाली के निशान और भी गहरे कर दिए हैं। पाकिस्तान में महंगाई 13 साल के सबसे उच्चतम शिखर पर है, वहीं विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है। भले ही पाकिस्तान भारत को आंखें दिखाता हो लेकिर उसकी हैसियत भारत के मुकाबले कहीं भी नहीं टिकती। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान हमारे सामने कहां खड़ा है-
बच्चों की गुल्लक जैसा विदेशी मुद्रा भंडार
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पाकिस्तान का सरकारी खजाना यानि विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली पड़ा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की ताजा रिपोर्ट के अनुसार अगस्त के दूसरे सप्ताह में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 7.83 अरब डॉलर पर आ गया है। यह वर्ष 2019 के बाद पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा का न्यूनतम स्तर है। एक साप्ताह में यह 55.5 करोड़ डॉलर यानी 6.6 फीसदी कम हो गया है। पांच अगस्त को पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 8.385 अरब डॉलर था। इस मुद्रा भंडार से तुलना करें तो करीब 8 अरब डॉलर तो सिर्फ भारतीय स्टार्टअप ने निवेशकों से जुटाएं हैं। और आसानी से समझें तो यह भारतीयों के मोबाइल फोन पर किए खर्च से भी कम है। 2014 तक हम 8 अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन आयात करते थे। या कहें तो स्टारबक्स दुनिया भर में इससे ज्यादा की कॉफी बेच डालती है।
पाकिस्तान की सभी कंपनियों पर भारी भारत की रिलायंस
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अब पाकिस्तान के शेयर बाजार की बात करें लें। यहां पर जनवरी 2022 तक कुल 375 कंपनियां लिस्टेड थीं, जिनका कुल मार्केट कैप 7.7 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपया यानि सिर्फ 52 अरब डॉलर है। जबकि भारत भारत की बात करें तो विदेशी मुद्रा व्यापार बनाम स्टॉक व्यापार टाटा ग्रुप की कंपनी टीसीएस पाकिस्तान के तीन गुना के बराबर है। इसकी मार्केट कैप 152 अरब डॉलर को पार कर चुकी है। रिलायंस इंडस्ट्री की मार्केट वेल्यू 223 अरब डॉलर के पार पहुंच चुकी है।
सालाना बिक्री से ज्यादा भारत की मासिक कार सेल
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अब पाकिस्तान के ऑटोमोबाइल सेक्टर का रुख कर लेते हैं। पाकिस्तान ने 2021-22 में करीब हर साल करीब 2,79,267 कारों की बिक्री की थी। भारत से मुकाबला करें तो यह कहीं नहीं टिकती। सिर्फ जुलाई 2022 के आंकड़ों की बात करें तो भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियों ने 2,93,865 कारों की बिक्री की थी। भारत में सिर्फ मारुति ही करीब 1.5 लाख कारें हर महीने बेच देती है।
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