मुद्रा आधुनिक दुनिया में विनिमय का प्राथमिक माध्यम है, जिसने बहुत पहले ही वस्तु विनिमय को व्यापारिक वस्तुओं और सेवाओं के साधन के रूप में बदल दिया था।
रुपया की विनिमय दर - The Exchange Rate of Rupee
धन, एक कागज के टुकड़े, एक सिक्का या इलेक्ट्रॉनिक डेटा (ऑनलाइन बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड) को सौंपा गया मूल्य है। यह विभिन्न प्रकार के वस्तु धन, प्रतिनिधि धन, फिएट मनी और वाणिज्यिक बैंक धन आधुनिक दुनिया में मुद्रा विनिमय हो सकता है। सोने के सिक्के, कोको सेम, मवेशी या कुछ भी जिसके पास इसका मूल्य होता है और एक्सचेंज के माध्यम के रूप में उपयोग किया जाता है वह वस्तु आधुनिक दुनिया में मुद्रा विनिमय धन होता है। कमोडिटी पैसों का उपयोग बार्टर के समान होता है, सिवाय इसके कि इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु व्यापक रूप से स्वीकार की जाती है और इसे आसानी से संभाला जा सकता है।
प्रतिनिधि धन टोकन के सिक्कों और नोट्स हैं जिन्हें निश्चित मात्रा में कीमती धातुओं या अन्य वस्तुओं के लिए आदान-प्रदान किया जा सकता है। इसके विपरीत, सरकार द्वारा फिएट मनी का मूल्य लगाया जाता है, जो अधिसूचित कानूनी निविदा में मुद्रा नोट्स और सिक्कों के रूप में किए गए भुगतानों से इनकार करता है। चेक, डिमांड ड्राफ्ट और बैंकर के ड्राफ्ट जैसे उपकरण वाणिज्यिक बैंक पैसे हैं। वे वित्तीय मध्यस्थों के नेतृत्व में प्रविष्टियों के रूप में मौजूद हैं और माल और सेवाओं के लिए भुगतान करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
क्रिप्टो करेंसी राष्ट्र और राष्ट्रवाद के लिए कितना बड़ा खतरा? जानिए- अपने नफे-नुकसान की बातें
By: मृत्युंजय सिंह | Updated at : 04 Mar 2020 02:28 PM (IST)
नई दिल्ली: क्रिप्टो करेंसी पर आरबीआई ने साल 2018 में बैन लगाया था जिसे आज सुप्रीम कोर्ट ने हटाने का फैसला किया है. क्रिप्टो करेंसी के चलन से से क्या देश और आधुनिक दुनिया में मुद्रा विनिमय दुनिया की सुरक्षा को खतरा पैदा होगा यह सवाल उठने लगा है. क्या क्रिप्टो करेंसी राष्ट्रवाद के लिए भी खतरनाक है?
आज दुनिया में ऐसी सैकड़ों हजारों वेबसाइट और कंपनियां है जो बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में स्वीकार कर रही है. दुनिया के भौतिक बाजार आजकल इंटरनेट पे और इंटरनेट हमारे मोबाइल पे आ गया है. लोग अपने खरीददारी का एक बड़ा भाग आजकल इस आभाषी माध्यम मोबाइल इंटरनेट से कर रहें हैं और नकदी कि जगह वर्चुअल वैलट रखने लगे हैं.
आर्थिक विशेषज्ञ पंकज जायसवाल के मुताबिक, ''आज भी कई लोगों के पास बैंकिंग सुविधा नहीं है लेकिन उन लोगों की संख्या अधिक है जिनके पास इंटरनेट के साथ सेल फोन है और यह इंटरनेट के माध्यम से व्यापार नहीं कर सकते. मोबाइल इंटरनेट, लॉयल्टी पॉइंट, रिवार्ड पॉइंट और वैलट की विचारधारा ने बिटकॉइन कि विचारधारा को इन्फ्रा सपोर्ट किया है क्योंकि इसने राज्य प्रतिष्ठान कि अनिवार्य मान्यता को हटा कर सिर्फ एक सूत्र वाक्य को पकड़ा है वह है जन स्वीकार्यता और हमें ले गया है उस दौर में जब विनिमय के लिए मानवों ने देश कि सीमाओं के रूप में बड़ी रेखाएं नहीं खींची थी. बिना राज्य प्रतिष्ठान कि गारंटी, केन्द्रीय बैंक के नियमन के भी आप आभाषी दुनिया में बिटकॉइन की वजह से लेन देन कर सकते हैं क्योंकि बिटकॉइन पर किसी व्यक्ति विशेष सरकार या कंपनी का कोई स्वामित्व नहीं होता है."
आधुनिक दुनिया में मुद्रा विनिमय
आर्थिक विशेषज्ञ पंकज जायसवाल की क्या है राय?
आर्थिक विशेषज्ञ पंकज जायसवाल के मुताबिक, ''आज के राष्ट्र राज्य कि अवधारणा में बिटकॉइन एक नई और बड़ी चुनौती है. यह एक नई आभाषी दुनिया का निर्माण कर रही है, उस आभाषी दुनिया कि करेंसी का निर्माण कर रही है. अब किसी देश के नागरिकों को किसी देश के मान्यता प्राप्त करेंसी को संग्रहfत करने और लेन देन कि जरूरत नहीं है. इस आभाषी दुनिया कि इस आभाषी करेंसी पे न तो राज्य का नियमन है और ना ही ईस पे राज्य का कानून काम कर पा रहा है. यह पूरी तरह पीयर टू पीयर अवधारणा पे काम कर रहा है, जहां राज्य का हस्तक्षेप नहीं है.
आज की यह आधुनिक करेंसी हमें मानवीय सभ्यता आधुनिक दुनिया में मुद्रा विनिमय के उस शुरुआती दौर में ले जा रही है जब मानवों के विकास एवं सुखमय जीवन के राज्य कि स्थापना हुई थी और राज्य का नियंत्रण जनता पे पूरी तरह स्थापित हो पाया था और कर भार लगाने का एक आधार मुद्रा का जन्म हुआ था. बिटकॉइन का प्रचलन केवल राष्ट्र कि भूमिका और उसके राष्ट्रवाद को ही नहीं खत्म कर रहा है यह उस राज्य के द्वारा लगाए जाने वाले कर के बेस को भी खत्म कर दे रहा है, और यह आगे चल के ब्लैक मनी का बहुत बड़ा हथियार बन सकता है. मानव सभ्यता के बड़े दुश्मन आतंकवादी, ड्रग माफिया एवं तस्कर इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर सकते हैं.'
आखिर कैसे हुई दुनियाभर में बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत, क्या है भारत के बैंकों का इतिहास ?
बैंकिंग, ये शब्द आज हमारे लिए एक ऐसा शब्द बन चुका है जिसके बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। दुनियाभर में बैंक लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। इंसान तो क्या अब हर छोटे- बड़े देश की अर्थव्यवस्था भी उसके बैंकिंग प्रणाली पर टिकी है। दिन-प्रतिदन बैंकिंग प्रणाली में कई बड़े- बड़े बदलाव सामने आ रहे हैं। आज दुनियाभर में बैंकिंग का ये बड़ा सा हिस्सा छोटे रुप में लोगों के हाथों तक पहुंच गया है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि आखिरकार इस बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत कहां से और कैसे हुई। चलिए जानते हैं बैंकिंग प्रणाली और उसके इतिहास से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्य।
विदेशी मुद्रा अर्जन का जरिया बनते आयुर्वेद उत्पाद
हाल ही में 11 दिसंबर को प्रधानमंत्री ने 9वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस (डब्ल्यूएसी) के समापन समारोह और तीन राष्ट्रीय आयुष संस्थानों के उद्घाटन समारोह में कहा कि आयुर्वेद, सिर्फ इलाज के लिए आधुनिक दुनिया में मुद्रा विनिमय नहीं है। आयुर्वेद हमें जीवन जीने का तरीका सिखाता है। उन्होंने कहा कि भारत में आयुष के क्षेत्र में करीब 40 हजार सूक्ष्म, लघु और मध्यम (एमएसएमई) उद्योग कार्यरत हैं, जो अनेक विविध प्रोडक्ट दे रहे हैं। इनसे लोकल इकॉनमी को बड़ी ताकत मिल रही है। आठ साल पहले देश में आयुष इंडस्ट्री करीब-करीब 20 हजार करोड़ रुपये के आसपास ही थी। आज आयुष इंडस्ट्री करीब-करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच रही है। ऐसे में आगामी वर्ष 2023 से आईटी की तरह भारत के आयुर्वेदिक बाजार में भी तेजी से विस्तारित होने और इसके विदेशी मुद्रा की कमाई का नया तेजी से बढ़ता माध्यम बनने की सुकूनदेह संभावनाएं उभरती दिखाई दे रही हैं।
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