Ghulam Nabi Azad Resign: 'भारत जोड़ो से पहले कांग्रेस जोड़ो की जरूरत', गुलाम नबी ने राहुल पर किया तीखा हमला, 'धोखा' देने का लगाया आरोप
Ghulam Nabi Azad Resign: सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखे एक तीखे पत्र में, गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के विनाश के लिए राहुल गांधी (Rahul बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए Gandhi) को दोषी ठहराया और बिना नाम लिए उन पर तीखा हमला किया
Ghulam Nabi Azad Resign: "कांग्रेस को अनुभवहीन चाटुकारों की एक नई मंडली चला रही है और पार्टी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए. " ये कुछ तीखी बातें हैं, जो दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने शुक्रवार को ग्रैंड ओल्ड पार्टी को छोड़ते समय की।
सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखे एक तीखे पत्र में, आजाद ने पार्टी के विनाश के लिए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि पार्टी अध्यक्ष पद के लिए केवल दिखावा किया जा रहा है, जो होगा वो केवल कठपुतली होगा।
दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने संगठन के भीतर चुनाव से पहले शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने नेतृत्व पर आंतरिक चुनाव के नाम पर पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर ‘धोखा’ करने का आरोप लगाया ।
मुट्ठीभर लोग ही होते हैं बाजार में सफल, दिग्गज की राय
भारतीय शेयर बाजार लंबा सफर तय कर चुका है. मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम के बावजूद, पूरा लाभ सिर्फ चार पक्षों को ही मिल रहा है.
मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम के बावजूद, पूरा लाभ सिर्फ चार पक्षों- नियामक, स्टॉक एक्सचेंज, टैक्स विभाग और ब्रोकर्स को मिल रहा है. कारोबारी कल भी निराश थे. आज भी उनका हालत वैसी ही है. सिर्फ चुनिंदा लोग ही बाजार में सफल हुए हैं.
इस मुट्ठीभर लोगों की सूची में सभी निवेशक हैं, कोई कारोबारी नहीं है. भारत में शेयर कारोबार में सफलता महज 1 फीसदी लोगों को ही मिलती है. अब सवाल उठता है कि ऐसा क्यों है? जवाब साफ है, यह हमारी रगों में नहीं है.
हम तीन तरह से चीजों को सीख सकते हैं: जन्म के साथ ही वह बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए हमारे डीएनए से आए; स्कूल के दौरान वह हमारी शिक्षा का हिस्सा हो या फिर हमारी घरेलू संस्कृति का अंग हो; और युवाअवस्था में किताबों में, फिल्मों में, या लोगों को दुनिया भर में देखकर.
जैसे जमैका के धावक छोटी दौड़ और अफ्रीकी धावक मैराथन दौड़ के महारथी माने जाते हैं, उसी तरह सिर्फ पढ़ाई और कोचिंग के जरिए सब कुछ सीख पाना संभव नहीं होता. हम अपनी युवा बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए पीढ़ी से निवेश की उम्मीद करते हैं, जबकि हमारे पूर्वजों ने इस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया.
कई खानदानों ने अपनी संपत्ति बाजार में लुटा दी और यही वजह है कि कई औद्योगिक बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए घरानों में निवेश प्रतिबंधित है. कारोबार तो छोड़िए, हमें हमारे स्कूल, कॉलेज और घर में भी कभी भी निवेश का कोई पाठ सीखने को नहीं मिलता.
युवा पीढ़ी अपनी समझ को नष्ट कर रही है. फिल्म 'उड़ता पंजाब' की तरह, शेयर बाजार का नशा भी निवेशकों की नब्ज पर हावी हो रहा है. शेयर ट्रेडिंग किसी लत से कम नहीं है. यह भी एक प्रकार का नशा हो सकता है और कई लोग कारोबार के लिए अपना सबकुछ लुटा देते हैं.
मुझे याद है, एक बार मैं आईआईएम-अहमदाबाद में लेक्चर दे रहा था. तब एक छात्र ने मुझे बताया कि वह अपनी पिता की पेंशन की रकम से शेयर बाजार में कारोबार करना चाहता है. मैने उसका हाथ पकड़ा और उससे वादा करवाया कि वह ऐसा नहीं करेगा.
मेरी पत्नी अंग्रेजी पढ़ाती है. अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में उसने मुझसे पूछा कि क्या हमारा बेटा उनकी पेंशन की रकम से शेयरों में कारोबार कर सकता हैं? यह सुन कर मैं हैरान रह गया. यह बंदर के हाथ में बंदूक देने के समान है.
सेबी को बिना कोर्स किए शेयर कारोबार की अनुमति नहीं देनी चाहिए. यह जरूरी है. यदि ऐसा नहीं हुआ तो तमाम बिचौलिए और उनके कर्मचारी मोटी कमाई करते रहेंगे और बाकी 99 फीसदी छोटे कारोबारी अपने गुजर-बसर के लिए भी जूझते रहेंगे.
बिना समझ के यदि कोई बाजार से करोड़पति बनना चाहता है, तो उसे अरबों रुपये के साथ शुरुआत करनी चाहिए. शेयर बाजार एकदम अलग खेल है. आप बिना घाटा खाए इसे नहीं समझ सकते. इसमें समझ के साथ-साथ धैर्य, टाइमिंग और अनुशासन की खास जगह है.
ट्रेडिंग आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. आप सिर्फ एक ही सौदे में अपने 50 साल की कमाई लुटा सकते हैं. आज के दौर में ब्रोकर टीवी और इंटरनेट विज्ञापनों के जरिए युवाओं को कारोबार के लिए आकर्षित कर रहे हैं. यह उन्हें बरगलाने का एक तरीका है.
इस दाम में खरीदें, इतने में बेचें और इतना स्टॉप लॉस रखें. यह तो बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए भगवान भी नहीं बता सकते. यह सिर्फ उनके लिए बिजनेस हासिल करने का एक माध्यम है. मुझे राज कपूर की फिल्म 'श्री 420' याद आती है, जिसमें वो एक स्कीम के तहत किसी निश्चित बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए तिथि पर 100 रुपये में घर बेचने का वादा करते हैं.
जब उनसे किसी ने पूछा कि वे 100 रुपये में घर कैसे बेचेंगे, तो उन्होंने कहा कि वे नहीं बेच सकते. वे सिर्फ सपने का सौदा कर रहे हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो वे मूर्ख बनाने का सौदा था. इसी तरह शेयर बाजार है. सीड कैपिटल के नाम पर लोग बाजार में घुस जाते हैं.
उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि कारोबार में कैपिटल जुटाने के लिए उन्हें ब्रांडेड कपड़े, साधारण मोबाइल, महंगे रेस्त्रां में खाना और खुद के वाहनों का त्याग करना चाहिए. यदि वे ऐसा नहीं करेंगे, तो उनके पास कोई पूंजी शेष ही नहीं रहेगी. कम समय में करोड़पति बनने का सपना सबसे बड़ा धोखा है.
लोगों को निवेश और कारोबार के बीच का फर्क नहीं पता. रोम एक दिन में नहीं बना था, मगर हिरोशिमा और नागासाकी एक ही पल में तबाह जरूर हो गए थे. बाजार आपकी अवधारणा पर नहीं चलता है. यह जुआ भी नहीं है. यदि आपको जुआ खेलना है, तो दलाल पथ नहीं, गोवा जाइए.
शुरुआती दिनों में कलकत्ता स्टॉक बाजार में लोग सिर्फ पांच अक्षरो - त, थ, द, ध, न, में ही कारोबा कर लेते थे. 'त' का अर्थ था तरुणी, 'थ' का अर्थ था थोड़ी मात्रा, 'द' का अर्थ था दलाल, 'ध' का इस्तेमाल धनवान के लिए होता था, जबकि 'न' का मतलब था कि कोई नुकसान के बाद पैसे देने से इनकार कर रहा है.
ट्रेडिंग से ज्यादा खतरनाक है फ्यूचर्स ट्रेडिंग, जो आपके जीवन को निष्क्रिय और कारोबार को विकलांग बना देती है. एक सच यह भी है कि ज्यादातर फ्यूचर्स कारोबारी कम उम्र में ही रक्तचाप के मरीज बन जाते हैं. यह जीवन आपका है और आप ही को तय करना है कि आपको खुशियां कैसे चाहिए.
नोट: यह लेख विजय केडिया के विचार को व्यक्त करता है. केडिया एक जाने-माने निवेशक बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए हैं. ये बातें उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल में दिए गए अभिभाषण के दौरान कहीं थीं.
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‘मूनलाइटिंग’ पर उद्योग जगत में बहस छिड़ी, जानिये क्या है इसका मतलब
अनुमान है कि इंडस्ट्री में फिलहाल छह से आठ प्रतिशत तक लोग मूनलाइटिंग कर रहे हैं, बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए जबकि पहले यह अनुपात सिर्फ एक से दो प्रतिशत ही हुआ करता था.
आईटी सेक्टर के प्रोफेश्नल्स के बीच ‘मूनलाइटिंग’ के बढ़ते चलन ने सेक्टर में एक नई बहस छेड़ दी है. इस प्रवृत्ति से कई कानूनी सवाल भी पैदा हुए हैं लेकिन कई लोगों का मानना है कि आईटी सेक्टर के कर्मचारियों के कार्यस्थल पर लौटने के साथ इससे जु़ड़ी चिंताएं भी कम होंगी.विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी की तरफ से मूनलाइटिंग का जिक्र किए जाने के बाद इस पर चर्चा बढ़ी है. रिशद ने इसे नियोक्ता कंपनी के साथ धोखा बताया था. आज हम आपको बताते हैं मूनलाइटिंग क्या होती है और इसके लेकर क्या बहस जारी है.
क्या होती है मूनलाइटिंग
जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही किसी अन्य कंपनी या प्रोजेक्ट के लिए भी काम करता है तो उसे तकनीकी तौर पर ‘मूनलाइटिंग’ कहा जाता है. आम तौर पर लोग बिना कंपनी को जानकारी दिए किसी दूसरे प्रोजेक्ट पर काम करते हैं. ये फ्रीलांसर से पूरी तरह अलग होता है. क्योंकि फ्रीलांसर किसी भी कंपनी के नियमित कर्मचारी नहीं होते और कंपनियां उन्हें सिर्फ काम का मेहनताना देती हैं. हालांकि नियमित कर्मचारियों को वेतन के अतिरिक्त कई अन्य भत्ते भी कंपनियां देती है. एक कंपनी से नियमित वेतन हासिल करने के साथ दूसरे प्रोजेक्ट में काम करने पर इंडस्ट्री के कई लोगों को आपत्ति है. कोरोना काल के साथ देश में मूनलाइटिंग बढ़ी है क्योंकि उस दौरान सैलरी घटने या नौकरी छूटने से लोग अतिरिक्त आय के लिए हाथ पैर मार रहे थे. तो दूसरी तरफ छोटी कंपनियां लागत घटाने के लिए प्रोजेक्ट के आधार पर काम ऑफर कर रही थीं. जिससे मूनलाइटिंग का चलन काफी बढ़ गया.
क्यों बढ़ी मूनलाइटिंग
आईटी उद्योग के दिग्गज और इंफोसिस के पूर्व निदेशक मोहनदास पई ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि प्रौद्योगिकी उद्योग में शुरुआती दौर में कम वेतन होना मूनलाइटिंग की एक वजह है. उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान सब कुछ डिजिटल हो गया और गिग रोजगार अवसरों में भी वृद्धि हुई. उन्होंने कहा, यदि आप लोगों को अच्छी तरह से भुगतान नहीं करते हैं, और वे अधिक पैसा कमाना चाहते हैं तो यह अच्छी कमाई का आसान तरीका है. लोगों को बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए लगता है कि अब तकनीक उपलब्ध है. डॉलर में बहुत अच्छा भुगतान मिलता है, मैं और अधिक कमा सकता हूं. पई का अनुमान है कि छह-आठ प्रतिशत लोग मूनलाइटिंग कर रहे हैं, जबकि पहले यह अनुपात सिर्फ एक-दो प्रतिशत ही हुआ करता था.
क्या है बाजार के जानकारों की राय
विशेषज्ञों का बिना धोखा और निवेश के इंटरनेट पर पैसा कैसे कमाए कहना है कि इस बारे में जानकारी सामने आने के बाद नियोक्ता अब सूचनाओं और परिचालन मॉडल की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपायों पर विचार करेंगे. खास तौर पर ऐसे मामलों में जहां कर्मचारी कार्यस्थल से दूर रहकर काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि कंपनियां अपने रोजगार अनुबंधों को भी सख्त बना सकती हैं. वहीं कुछ नियोक्ताओं का मानना है कि तकनीकी कर्मचारियों के काम पर वापस आने के बाद यह समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी. टेक महिंद्रा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सी पी गुरनानी ने हाल ही में एक ट्वीट में कहा कि समय के साथ बदलते रहना जरूरी है और हम जिस तरह से काम करते हैं, उसमें व्यवधान का मैं स्वागत करता हूं.
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