देश का विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर
-सुरक्षित स्वर्ण भंडार का मूल्य बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार में दर्ज हुई बढ़ोतरी
नई दिल्ली (New Delhi), 14 अक्टूबर . आर्थिक र्मोचे पर सरकार को राहत देने वाली खबर आई है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार सात अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में 20.4 करोड़ डॉलर (Dollar) बढ़कर 532.868 अरब डॉलर (Dollar) पर पंहुच गया. विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार 9वें हफ्ते की गिरावट के बाद बढ़ोतरी दर्ज हुई है. रिजर्व बैंक (Bank) ऑफ इंडिया (आरबीआई (Reserve Bank of India) ) ने शुक्रवार (Friday) को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी.
आरबीआई (Reserve Bank of India) के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़ोतरी सुरक्षित स्वर्ण भंडार का मूल्य बढ़ने से हुई है. सात अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में 20.4 करोड़ डॉलर (Dollar) बढ़कर 532.868 अरब डॉलर (Dollar) पर पंहुच गया. दरअसल, इसके पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 अरब डॉलर (Dollar) घटकर 532.664 अरब डॉलर (Dollar) पर आ गया था. एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर (Dollar) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
रिजर्व बैंक (Bank) के आंकड़ों के अनुसार 7 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.311 अरब डॉलर (Dollar) घटकर 471.496 अरब डॉलर (Dollar) रह गई. आंकड़ों के मुताबिक विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 15.5 करोड़ डॉलर (Dollar) की गिरावट के साथ 17.582 अरब डॉलर (Dollar) रह गया है. इस दौरान सोने के सुरक्षित भंडार का मूल्य 1.35 अरब डॉलर (Dollar) बढ़कर 38.955 अरब डॉलर (Dollar) पर पहुंच गया. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पास रखी भारत की आरक्षित निधि 10 करोड़ डॉलर (Dollar) बढ़कर 4.836 अरब अमेरिकी डॉलर (Dollar) हो गई.
उल्लेखनीय है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर (Dollar) के मुकाबले गिरते रुपये को संभालने के लिए आरबीआई (Reserve Bank of India) ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार गिर रहा था. विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है.
विदेशी मुद्रा सुरक्षित है
नई दिल्ली। विदेशी मुद्रा का देश का सुरक्षित भंडार 13 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 1.07 अरब डॉलर और बढ़कर 13 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 454.49 अरब डॉलर के नये शिखर पर पहुंच गया।
इससे पहले 06 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 453.42 अरब डॉलर रहा था। इस वर्ष मार्च के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में 41.62 अरब डॉलर बढ़ चुका है।
रिजर्व बैंक की तरफ से जारी आँकड़ों के अनुसार, कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 13 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ पहले के 421.26 अरब डॉलर से बढ़कर 422.42 डॉलर के बराबर पहुँच गई। हालांकि इस दौरान स्वर्ण भंडार 27.08 अरब डॉलर से घटकर 26.97 अरब डॉलर का रह गया।
विशेष निकासी अधिकार की राशि 13 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 20 लाख डॉलर बढ़कर 1.44 अरब डॉलर पर पहुँच गयी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास सुरक्षित राशि एक करोड़ 40 लाख डॉलर बढ़कर तीन अरब 65 करोड़ 80 लाख डॉलर पर पहुँच गई।
फॉरेक्स रिजर्व 580 अरब डॉलर: विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में रूस को पछाड़कर चौथे स्थान पर पहुंचा भारत, चीन इसमें सबसे आगे
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार बन गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत रूस को पछाड़कर इस पायदान पर पहुंचा है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 मार्च को 4.3 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 580.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। वहीं रूस का भंडार 580.1 अरब (बिलियन) डॉलर पर आ गया ।
चीन बना हुआ है टॉप पर
चीन के पास सबसे ज्यादा भंडार है, जिसके बाद जापान और स्विट्जरलैंड आते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि मजबूत भंडार से विदेशी निवेशकों और क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को यह भरोसा मिलता है कि सरकार घटते फिजकल आउटलुक और अर्थव्यवस्था के चार दशकों में पहले एक साल के संकुचन की ओर बढ़ने के बावजूद अपने कर्ज को लेकर वादे को पूरा कर सकती है।
580.299 अरब डॉलर का हुआ विदेशी मुद्रा भंडार हुआ
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5 मार्च को समाप्त सप्ताह में 4.255 अरब डॉलर घटकर 580.299 अरब डॉलर रह गया। RBI के 12 मार्च को जारी आंकड़ों के अनुसार इससे पहले के सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 68.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 584.554 अरब डॉलर हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार 29 जनवरी 2021 को समाप्त सप्ताह में 590.185 अरब डॉलर के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था।
निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रही सरकार
सरकार आयात (इम्पोर्ट) कम करने और निर्यात (एक्सपोर्ट) बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसी के चलते सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) की शुरुआत भी की है। इस योजना के अनुसार, केंद्र अतिरिक्त उत्पादन पर प्रोत्साहन देगा और कंपनियों को भारत में बने उत्पादों को निर्यात करने की अनुमति देगा।
क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। ज्यादातर विदेशी मुद्रा सुरक्षित है डॉलर और कुछ हद तक यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है। कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होनी चाहिए। हालांकि, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (विदेशी मुद्रा सुरक्षित है आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता हैं।
देश में विदेशी मुद्रा भंडार में इस हफ्ते फिर गिरावट जारी, जानिए क्या है गोल्ड रिजर्व का हाल
आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 13 मई के खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई कमी की वजह से हुई, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
विदेशी मुद्रा भंडार
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 21 मई 2022,
- (Updated 21 मई 2022, 11:17 AM IST)
1.302 अरब डॉलर घटा FCA
गोल्ड रिजर्व में भी आई गिरावट
देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) में एक बार फिर से गिरावट आई है. बीते हफ्ते यह 2.676 अरब डॉलर घटकर 593.279 अरब डॉलर रह गया. शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की ओर से जारी किए आंकड़ों में ये जानकारी दी गई है.
वहीं इससे पहले के सप्ताह में ये 1.774 अरब डॉलर घटकर 595.954 अरब डॉलर रह गया था. 29 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.695 अरब डॉलर घटकर 597.73 अरब डॉलर रह गया था.
आरबीआई के मई बुलेटिन में ‘स्टेट ऑफ इकोनॉमी’ पर प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, 6 मई को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 596 अरब डॉलर था, जो कि वर्ष 2022-23 के लगभग 10 महीने के प्रोजेक्टेड इंपोर्ट के बराबर था.
1.302 अरब डॉलर घटा FCA
आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 13 मई के खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई कमी की वजह विदेशी मुद्रा सुरक्षित है से हुई, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. रिजर्व बैंक के मुताबिक रिपोर्टिंग वीक विदेशी मुद्रा सुरक्षित है में भारत की एफसीए (FCA) 1.302 अरब डॉलर घटकर 529.554 अरब डॉलर हो गई. गौरतलब है कि डॉलर में बताई जाने वाली एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है.
गोल्ड रिजर्व में भी आई गिरावट
रिजर्व बैंक के आंकड़ों की मानें तो रिपोर्टिंग वीक में गोल्ड रिजर्व का मूल्य भी 1.169 अरब डॉलर बढ़कर 40.57 अरब डॉलर रह गया. रिपोर्टिंग वीक में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी एमआईएफ (IMF) में देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट 16.50 करोड़ डॉलर घटकर 18.204 अरब डॉलर रह गया. वहीं IMF में रखा देश का मुद्रा भंडार 3.9 करोड़ डॉलर 4.951 अरब डॉलर रह गया.
दुनिया की सुरक्षित करेंसी डॉलर पर मंडरा रहा है अब तक का सबसे बड़ा खतरा! भारत पर होगा सीधा असर
गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने कहा है कि अमेरिकी नीतियों से डॉलर में कमजोरी का खतरा बढ़ रहा है. इससे विदेशी मुद्रा ब . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : July 29, 2020, 14:31 IST
वाशिंगटन. अमेरिकी डॉलर (US Dollar) दुनिया की सबसे सुरक्षित करेंसी (World Safest Currency) मानी जाती है. लेकिन अब इस स्टेटस को खो सकती है. दुनिया की बड़ी रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैक्स की नई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका की महंगाई दर (US Inflation) का डॉलर पर असर हो रहा है. इसी वजह से ये सबसे सुरक्षित मुद्रा का ताज गंवाने का खतरा मंडरा रहा है. इस साल मार्च के अपने उच्च स्तर से अमेरिकी डॉलर इंडेक्स करीब 9 फीसदी गिर चुका है. साल 2011 के बाद पहली बार इसमें ऐसी कमजोरी दिख रही है. डॉलर इंडेक्स दुनिया की छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर की कमजोरी या मजबूती के बारे बताता है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में डॉलर की सबसे बड़ी भूमिका होती है. इसलिए डॉलर की बिकवाली से दुनिया भर के बाजारों में तेजी आ सकती है. दुनियाभर में केंद्रीय बैंकों और सरकारो की तरफ से राहत पैकेज आने से भी बाजारों में तेजी को सपोर्ट मिलेगा.
ऐसा क्या हुआ कि अमेरिकी डॉलर तेजी से गिरने लगा?
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए उठाए गए कदमों का असर दिख नहीं रहा है. अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाले राहत के उपायों से फेडरल रिजर्व की बैलेंस शीट इस साल करीब 2.8 लाख करोड़ डॉलर बढ़ चुकी है. इसी वजह से अमेरिकी डॉलर में कमजोरी है. गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि अमेरिकी नीतियों से डॉलर में कमजोरी का खतरा बढ़ रहा है. इससे विदेशी मुद्रा बाजर में डॉलर की बादशाहत पर ग्रहण लग सकता है.
ऐसा क्या हुआ कि अमेरिकी डॉलर तेजी से गिरने लगा?
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