ETF काम कैसे करता है
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बाजार में गिरावट आने पर कुछ खास तरह के निवेश बेहतर प्रदर्शन करते हैं। शेयरों और ETFs है कि एक भालू बाजार में कामयाब हो सकता है डिस्कवर.
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12 दिसंबर को लॉन्च होगा भारत बॉन्ड ETF, होगी टैक्स की बचत
नई दिल्ली: लगातार म्यूचुअल फंड ( Mutual Fund ) में निवेश करके कमाई करने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है, दरअसल अब भारत बॉन्ड ईटीएफ ( Bharat Bond ETF ) लॉन्च किया जाने वाला है जो आपको कमाई के और ज्यादा बेहतर विकल्प मुहैय्या करवाएगा। ईटीएफ को लेकर काफी समय से चर्चा हो रही है लेकिन ज्यादातर लोग अभी भी इसके बारे में नहीं जानते हैं, ऐसे में आज हम आप लोगों को ईटीएफ के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं और साथ ही ये भी बताएंगे कि ईटीएफ कैसे आपके लिए फायदे का सौदा साबित होगा।
ETF Meaning in Hindi | ETF क्या होते है?
ETF क्या होते है? (ETF Meaning in Hindi) :
ETF का पूरा नाम है, Exchange Traded Funds. यह mutual funds ही होते है जो की अलग अलग निवेशको से पैसा जमाकर के Fund के लक्ष्य के अनुसार अलग अलग निवेश विकल्पो मे निवेश करते है। लेकिन इन funds को शेयरो की तरह stock exchange से खरीदा और बेचा जा सकता है।
जैसे अगर आप चाहे तो NSE या फिर BSE दोनों मे listed Reliance Industries को बाज़ार के खुले रहने के समय मे खरीद या बेच सकते है, वैसे ही ETF को भी NSE और BSE जैसे Stock Exchanges मे से खरीदा और बेचा जा सकता है। इसी वजह से तो इन funds को Exchange Traded Funds कहाँ जाता है। ETF Meaning in Hindi
जैसे Stock Exchange मे listed शेयर्स का दाम बाज़ार के शुरू होने के समय मे supply और demand के हिसाब से बढ़ता – घटता रहता है, बिलकुल वैसे ही ETF का दाम जिसे हम NAV के नाम से जानते है, यह भी stock exchange मे चल रहे supply और demand के हिसाब से बढ़ता और घटता रहता है।
इसके अलावा बता दे की ETF Passively Managed Funds होते है। जो की अपने fund के लिए set किए गए Index का अनुकरण करते है। साथ ही इन Funds के fund managers का काम यही है की जिस तरह से fund के index मे शेयर का हिस्सा है, बिलकुल उतने ही प्रतिशत हिस्सा ETF मे जुटाए हुए ETF काम कैसे करता है कुल funds का भी करे। ETF Meaning in Hindi
जैसे की निफ़्टी में 30 नवम्बर को ITC का हिस्सा 5.65 प्रतिशत है इस लिए निफ़्टी के सभी ETFs में फंड के पैसो का 5.65 प्रतिशत हिस्सा ITC में निवेश किया होगा। वैसे ही निफ़्टी में TCS का हिस्सा 4.87 प्रतिशत का है तो सभी निफ़्टी के ETFs में फंड का 4.87 प्रतिशत हिस्सा टक्स में निवेश किया होगा।
इस तरह ETF के funds managers का काम समय समय पर अगर index मे कोई शेयर के प्रतिशत मे बदलाव हो तो वैसा ही बदलाव उसे fund के अंदर भी करना पड़ता है। तभी लंबे समय मे fund बिलकुल अपने ETF काम कैसे करता है index को follow कर पाता है और निवेशको को Index ने जितना रिटर्न दिया होता है उतना ही रिटर्न मिल सकता है। तो चलिए ETF को एक उदाहरण से समजते है।
ETF के उदहारण। (Example of ETF Meaning in Hindi) :
उदाहरण के तौर पर NSE का Index Nifty 50 को follow करने वाले सभी ETFs की सूचि आपको NSE की वेबसाइट से मिल जाएगी। जो हमने नीचे photo मे भी दी है। जिसमे आपको ETF को issue करने वाली AMC का नाम, ETF का नाम, उसका symbol, वह Nifty के कौनसे sub index को Follow करते है वह और किस दिन उनको launch किया गया है यह सब जानकारी देखने को मिल जाएगी।
ETF का दाम कैसे पता करे ?
अब अपने Nifty को follow करने वाले ETF के नाम तो जान लिए। अब इनका price अभी कितना है वह जानने के लिए आप जैसे किसी कंपनी के शेयर का दाम जानने के लिए सीधा NSE या BSE की website या फिर आपके Broker ने आपको जो trading application दी है उसमे login कर के जान सकते है। ETF Meaning in Hindi
उदाहरण के तौर पर भारत का सबसे बड़ा discount broker Zerodha अपने निवेशको को Kite नाम की Trading Application से शेयर बाज़ार मे ट्रेड करने की सुविधा देता है। यदि आपका Demat Account Zerodha मे है तो आप उसकी kite mobile application मे जाकर जिस ETF का Price आपको जानना है, उसके symbol को search कर के उसको अपने watchlist मे add कर सकते है, जिस से आपको उस ETF का price दिखाई दे जाएगा। ETF Meaning in Hindi
ETF के लाभ :
- इस तरह के Funds को हम आसानी से स्टॉक एक्सचेंज पर से ही खरीद या बेच सकते है।
- ETF को खरीद कर अगर कुछ टाइम मे अच्छा मुनाफा हो रहा है तो आप उसे बेच कर हम ट्रेडिंग भी कर सकते है।
- यह Passively Managed Funds होने की वजह से इन का Expense Ratio म्यूच्यूअल फंड्स से बहुत ही कम होता है।
ETF के नुकसान :
ETF का सबसे बड़ा नुकसान यही है की इसमे trading volume बहुत कम हो सकता है। जैसे अगर आपने कुछ समय पहले किसी ETF को खरीदकर रखा है और अब आपको पैसो की जरूरत है तो आप उसे stock exchange पर बेचना चाहते है, तो सकता है की बहुत ज्यादा खरीद बिक्री न होने की वजह से आपको कोई खरीददार ही न मिले। एसे मे आप के बेचने के order रखने के बावजूद आप ETF को नहीं बेच पा रहे है, एसा हो सकता है। ETF Meaning in Hindi
निष्कर्ष :
तो दोस्तो यह थी ETF क्या है? (ETF meaning in Hindi) के बारे मे जानकारी। उम्मीद करता हु की आपको समझ में आ गया होगा की ETF क्या होते है। यदि आपको कुछ समझने में दिक्कत हुई हो तो आप comment बॉक्स में हमें बता सकते है।
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By Gaurav
Gaurav Popat एक निवेशक, ट्रेडर और ब्लॉगर है, जो की शेयर बाज़ार मे बहुत रुचि रखता है। वह साल 2015 से शेयर बाज़ार मे है। पिछले 7 साल मे खुद अलग अलग जगह से सीख कर और अनुभव के आधार पर शेयर बाज़ार और निवेश के विषय मे यहा पर जानकारी देता है।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में इन्वेस्टमेंट आपको दिला सकता है अधिक प्रॉफिट, जानें इससे जुड़ी खास बातें
बिज़नेस न्यूज डेस्क - आज के दौर में हर युवा चाहता है कि उसे कम समय में ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिले, लेकिन कम समय में ज्यादा रिटर्न देने वाली योजनाओं में जोखिम भी बहुत हो सकता है। ऐसे में निवेशक के पास निवेश के कई विकल्प होते हैं। जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड, ईटीएफ, शेयर मार्केट, सेविंग स्कीम आदि। हालांकि, निवेश करने से पहले जरूरी है कि आपको इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। ताकि आप आसानी से निवेश का विकल्प चुन सकें। स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले सभी लोगों ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ के बारे में अक्सर सुना होगा। आज के दौर में यह काफी लोकप्रिय हो रहा है और म्यूचुअल फंड कंपनियां भी लगातार नए नए ईटीएफ बाजार में ला रही हैं। ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि ईटीएफ क्या है और यह कैसे काम करता है। एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ एक तरह का निवेश है जिसे स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जाता है। ईटीएफ में बॉन्ड या स्टॉक खरीदे और बेचे जाते हैं। एक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एक म्यूचुअल फंड के समान है, लेकिन एक म्यूचुअल फंड के विपरीत, ईटीएफ को ट्रेडिंग अवधि के दौरान किसी भी समय बेचा जा सकता है।
आपको बता दें कि ईटीएफ का रिटर्न और जोखिम बीएसई सेंसेक्स जैसे सूचकांकों या सोने जैसे एसेट्स में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। जिस तरह दूध के दाम बढ़ने से पनीर और घी के दाम भी बढ़ जाते हैं, उसी तरह ईटीएफ में भी इंडेक्स में ट्रेडिंग होती है। इसके अलावा ETF को म्यूचुअल फंड स्कीमों की तरह ही पेश किया जाता है। जबकि यह गोल्ड ईटीएफ, इंडेक्स ईटीएफ, बॉन्ड ईटीएफ, करेंसी ईटीएफ के रूप में हो सकता है। ETF में निवेश करने के लिए डीमैट के साथ ट्रेडिंग अकाउंट होना बहुत जरूरी है। इसमें 3-इन-1 खाता खोलने का विकल्प चुन सकते हैं। साथ ही इसमें बैंक अकाउंट के साथ डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट की भी सुविधा है। आपको बता दें कि हम हर दिन ईटीएफ निवेश के बारे में जानकारी देते हैं, ताकि इसमें निवेश ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित हो सके। इसे आसानी से बेचा भी जा सकता है। ईटीएफ में निवेश कर अलग-अलग सेक्टर में निवेश किया जा सकता है। ईटीएफ लाभांश पर कोई कर नहीं है।
पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करने के लिए क्या गोल्ड ETF को चुनना चाहिए?
1 साल में इक्विटी बाजारों ने निवेशकों को तगडा रिटर्न दिया है, वहीं गोल्ड ETF में नेगेटिव रिटर्न मिला है, तो क्या गोल्ड ETF से दूर रहना बेहतर होगा.
- Vijay Parmar
- Publish Date - August 9, 2021 / 04:24 PM IST
image: Unsplash, MCX पर सिल्वर का सितंबर डिलीवरी कॉन्ट्रैक्ट का भाव 359 रुपये या 0.56 ETF काम कैसे करता है फीसदी गिरकर 63,233 रुपये प्रति किलो पर चला गया.
गोल्ड ETF: मार्केट में कई तरह के एक्स्चेंज ट्रेडेड फंड (ETF) है, जैसे कि गोल्ड ETF, निफ्टी ETF और सेंसेक्स ETF. गवर्मेंट के CPSE और भारत 22 ETFs भी है, जो सरकारी कंपनियों में निवेश करते है. ETF में आप BSE या NSE जैसे एक्स्चेंज पर युनिट ट्रेडिंग करने मिलता है. आज हम गोल्ड ETF के बारे में जानेंगे. गोल्ड ETF ने पिछले एक साल में 15% के करीब नेगेटिव रिटर्न दिया है. 3 साल में गोल्ड ETF ने 13-17% की रेंज में और 5 साल में 10% के करीब पॉजिटिव रिटर्न दिया है.
गोल्ड ETF क्या है?
Equitymath के फाउंडर शशांक महेता बताते हैं, “जैसे इंडेक्स फंड एक इंडेक्स को फोलो करता है वहीं ETF एक ब्रोडर केटेगरी की मिरर ईमेज बताता है. आप किसी सेक्टर या थीम में निवेश करना चाहते है तो ETF पसंद कर सकते है, जैसे गोल्ड.” पेपर गोल्ड में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका गोल्ड ETF खरीदना है. यह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड होता है, जो सोने की गिरते-चढ़ते भावों पर आधारित होता है. एक गोल्ड ETF यूनिट का मतलब है कि 1 ग्राम प्योर सोना.
गोल्ड ETF काम कैसे करता है?
गोल्ड ETF म्यूचुअल फंड के समान हैं जिनका स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार होता है, यानी स्टॉक एक्सचेंजों से कोई भी यूनिट खरीद और बेच सकते है. जिस तरह एक इक्विटी म्यूचुअल फंड में एक AMC द्वारा शेयरों में निवेश करने के लिए निवेशकों से धन इकट्ठा किया जाता है, वैसे ही गोल्ड ETF में शुद्ध शुद्ध सोने में निवेश होता है. आपको कम से कम एक यूनिट खरीदना जरूरी है. आप मौजूदा ट्रेडिंग खाते से ही गोल्ड ETF खरीद और बेच सकते है. गोल्ड ETF की यूनिट डीमैट खाते में जमा होती है.
गोल्ड और इक्विटी मार्केट
आमतौर पर जब इक्विटी बाजार कमजोर होता है तो सोना अच्छा रिटर्न देता है. 2011, 2016 और 2020 के बाजार सुधार के दौरान पीली धातु की कीमतों में हुई बढ़त इसके उदाहरण हैं. पिछले एक साल में भारत में गोल्ड की कीमते 13% नीचे गई है, वहीं इक्विटी मार्केट ने 44% उंचा रिटर्न दिया है. इक्विटी और अन्य संपत्तियों के साथ इसके कम सहसंबंध को देखते हुए, सोना एक अच्छा पोर्टफोलियो डायवर्सिफायर भी हो सकता है. आप पोर्टफोलियो का 5-10 प्रतिशत किसी भी समय सोने में रख सकते हैं.
क्या ध्यान रखना चाहिए
गोल्ड ETF में निवेश करने के लिए ETF काम कैसे करता है आपको तरलता, जोखिम और निवेश अवधि की आवश्यकताओं को समझना चाहिए. ऐसे फंड का एसेट साइज, ट्रैकिंग एरर, एक्सवपेंस रेशियो, इम्पैिक्टै कॉस्टत और स्पॉंट प्राइस पर डिस्काचउंट से लेकर उसके नेट एसेट वैल्यू, आदि के बारे में जानना भी बहुत जरूरी है. आपका ब्रोकर कितना बाय-सेल ब्रोकरेज लेता है और उसमें कितना स्प्रेड जोडता है वो जान लेना चाहिए.
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
इन्वेस्टर को अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करना जरूरी है, और गोल्ड का उपयोग हेजिंग के लिए किया जा सकता है. गोल्ड को पहले से ही सेफ हैवन के रूप में देखा गया है. आपको किसी भी ETF को खरीदने या बेचने में उसकी लिक्विडिटी या ट्रेडिंग वॉल्युाम पर खास ध्यामन देना चाहिए. जो गोल्ड ETF हर दिन ट्रेड होता हो और वॉल्यु्म अच्छीड हो उसे ही निवेश के लिए चुनना चाहिए.
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